पीलिया का सबसे आसान आयुर्वेदिक उपचार
पीलिया को अंग्रेजी में “Jaundice“कहते हैं। इस बीमारी में खून में बिला बीन के बढ़ जाने से चमड़ा, नाखून और आंखों का सफेद भाग पीला नजर आता है। पीलिया से लेस मरीज का वक्त पर इलाज न हो तो रोगी को बहुत ज़्यादा परेशानी झेलना पड़ता है।
यह एक आम तौर से दिखने वाला गंभीर बीमारी हैं। इस रोग में लिवर कमजोर होकर काम करना बंद कर देता है। आम तौर से पीलिया होने पर लोग घबराने लगते हैं और पीलिया का इलाज करने के लिए एलोपैथिक के साथ साथ कई तरह के कोशिश करने लगते हैं। क्या आप को मालूम होना चाहिए कि आप पीलिया का घरेलू उपाय भी कर सकते हैं।
आयुर्वेद में पीलिया का उपाय करने के लिए कई रास्ते बताए गए हैं। आएं मालूम करते हैं।
पीलिया क्या है?
पीलिया तब होता है, जब जिस्म में बिलीरुबिन नामक चीज़ बहुत ज़्यादा हो जाता है। बिलीरुबिन की ज़्यादा मात्रा होने से लिवर पर बुरा असर पड़ता है, और इससे लिवर के काम करने की कूवत कमजोर होजती जाती हैं। बिलीरुबिन धीरे धीरे पूरे जिस्म में फैलना शुरू जाता हैं जिससे इंसान को पीलिया रोग हो जाता है।
पीलिया होने के वजह।
बिली रुबीन पीले रंग का चीज़ होता है। ये कोशिकाओं में पाया जाता है। जब ये कोशिकाएं मौत हो जाती हैं तो लिवर इनको फिल्टर कर देता है। जब लिवर में कुछ परेशानी होने के चलते यह काम ठीक से नहीं हो पाती तो बिलीरुबीन ज़्यादा बढ़ने लगता है।
इसी के चलते चमड़ा पीला नजर आने लगती है। लिवर में गड़बड़ी के वजह, बिलीरुबिन जिस्म से बाहर नहीं निकलता है, और इससे पीलिया हो जाता है।अलावा इसके नीचे दिए जा रहे वजह से भी पीलिया हो सकता है।
पीलिया होने पर ये निशानी हो सकते हैं ।चमड़ा, नाखून और आंख का सफेद हिस्सा जल्दी से पीला होने लगता है। फ्लू जैसे अलामत दिखाई देना, इसमें मतली आना, पेट दर्द, भूख ना लगना और खाना न हजम होना जैसे निशानी भी दिखाई देते हैं।
लिवर की बीमारियों की तरह इसमें मतली आना, पेट दर्द, भूख न लगना और खाना न हजम होना जैसे अलामत भी दिखाई देते हैं। वजन घटना,गाढ़ा पीला पेशाब होना ,लगातार थकान महसूस करना,भूख नहीं लगना,पेट में दर्द होना,बुखार बना रहना,हाथों में खुजली चलना,
इन लोगों को पीलिया हो सकता है।
पीलिया बच्चे से लेकर उमरदराज बुज़ुर्ग तक किसी भी तरह के लोगों को हो सकता है।
बच्चे को पीलिया का खतरा ज़्यादा होता है। जब बच्चा का जन्म होता है तो बच्चे के जिस्म के लाल रक्त कोशिकाओं की ज़्यादा होती है। जब ये लेबल टूटने लगते हैं तो बच्चे को पीलिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
बच्चे में पीलिया की इब्तेदा सर से होती है, फिर चेहरा पीला पड़ जाता है। इसके बाद सीने और पेट में फैल जाता है। आख़िर में पैरों में फैलता है। बच्चों को अगर पीलिया से 14 दिन से ज्यादा वक्त तक सख़्त रहता है तो उसके नतीजा खातर नाक हो सकते हैं
पीलिया का घरेलू इलाज करने के लिए तरीके।
पीलिया का इलाज गन्ने के रस से करें।
गन्ने का रस पीलिया से बे मिसाल फ़ायदे होता हैं। अगर दिन में तीन से चार बार सिर्फ गन्ने का रस पिया जाए तो इससे बहुत ही ज़्यादा फ़ायदा होता हैं।
अगर बीमारी सत्तू खाकर गन्ने का रस खाते हैं तो हफ्ता भर में ही पीलिया ठीक हो जाता है गेहूं के दाने के बराबर सफेद चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिया जाय तो भी जल्द से जल्द पीलिया दूर हो जाता है।
पीलिया का ईलाज हल्दी से करें।
हल्दी पीलिया रोग के ईलाज के लिए बहुत अच्छी होती हैं। पीलिया होने पर आप एक चम्मच हल्दी को आधे गिलास पानी में मिला लें। इसे हर दिन का मामूल में तीन बार पिएं। इससे जिस्म में मौजूद सभी परेशान कुण चीज़ें मर जाएंगे। यह नुस्खा बहुत मदद करता है। पीलिया के इलाज के लिए बहुत ही आसान नुस्खा हैं। जिससे जिस्म के खून की सफाई भी हो जाती हैं।
पीलिया के घरेलू ईलाज के लिए नारंगी का इस्तेमाल।नारंगी मेदा को दुरुस्त करती है। यह पीलिया में भी बहुत ही मोआसिर साबित होती है। नारंगी के रस का पीने से बिलीरुबिन काहिस्सा कम होती है, और इससे लिवर की कमजोरी भी दूर होती है।
पीलिया के घरेलू इलाज के लिए टमाटर का इस्तेमाल करें।
टमाटर लाइकोपीन का फ़ायदा मंद है। सुबह खाली पेट टमाटर का रस लेने से लिवर ठीक होता है। टमाटर को नरम करने के लिए पानी में कुछ टमाटर उबालें। अच्छे से उबल जाने के बाद टमाटर की खाल को अगल से निकाल लें। टमाटर के अंदर के हिस्से को एक बर्तन में निकालें। इसे अच्छे तरीके से मिलाकर पी जाएं।
पीलिया में आपका खान पान कैसा होना चाहिए?
ऐसी कई आदतें होती है जो कि पीलिया जैसे बीमारी को पैदा करती हैं। इसलिए पीलिया होने पर आपका खान पान ऐसा होना चाहिए।
ताजा व अच्छा खाना ही खाना चाहिए।
खाना बनाने और खाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिये। ज्यादा पानी पिएं , इससे लीवर में मैजूद टॉक्सिन्स बाहर निकलता है,और लीवर ठीक रहता है। पीने के लिये साफ और अच्छा पानी का ही इस्तेमाल करें।फलों का रस पिएं नींबू, संतरे जैसे दीगर फलों के रस से कूवत मिलती है, और जिस्म भी अच्छा रहता है।
थोड़ा थोड़ा खाएं ,दिन में कई बार थोड़ा थोड़ा खाएं। इससे लीवर पर ज्यादा दवाब नहीं पड़ता है।